नई दिल्ली, 6 मई। कोविड-19 की विभीषिका से समाज का कोई भी क्षेत्र नहीं बचा है, जिसमें खेल जगत भी शामिल है। बॉयो बबल के बावजूद कोरोना की सेंधमारी के चलते दुनिया की सर्वाधिक लोकप्रिय क्रिकेट लीग इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का 14वां संस्करण बीच में ही स्थगित करना पड़ा तो भारतीय हॉकी टीम की एफआईएच विश्व हॉकी लीग में भागीदारी संशय में पड़ चुकी है। इसी क्रम में भारतीय हॉकी के दो पूर्व सितारे – रविंदर पाल सिंह और एम.के. कौशिक भी कोरोना से जूझ रहे हैं।
भारत को अंतिम बार मॉस्को (1980) ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक दिलाने वाली राष्ट्रीय हॉकी टीम को दो खिलाड़ियों – रविंदर पाल और कौशिक को क्रमशः लखनऊ व दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। दोनों की हालत गंभीर बनी हुई है।
एचआई की रविंदर पाल को पांच लाख रुपये मदद की घोषणा
इस बीच हॉकी इंडिया (एचआई) ने रविंदर पाल के इलाज के लिए वित्तीय सहायता की मंजूरी दे दी है, जो लखनऊ के एक अस्पताल की आईसीयू में गंभीर लक्षणों के साथ गत 24 अप्रैल से भर्ती हैं।
एचआई के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोम्बम ने एक बयान में कहा, ‘हॉकी इंडिया 10 मई को दिल्ली में लॉकडाउन खुलने पर रविंदर पाल सिंह के इलाज के लिए संबंधित अस्पताल को पांच लाख रुपये ट्रांसफर करेगा।‘
पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, उत्तर प्रदेश के निदेशक (खेल) और राज्य में एचआई के एथलीटों के प्रतिनिधि राम प्रकाश (आरपी) सिंह लखनऊ में रविंदर पाल के परिवार के साथ लगातार सम्पर्क में हैं।
मॉस्को के बाद 1984 के लॉस एंजलिस ओलंपिक में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले रविंदर पाल की हालत पिछले कुछ दिनों से लगातार बिगड़ती जा रही है। उनकी भतीजी प्रज्ञा यादव ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा से वित्तीय सहायता के लिए अनुरोध किया था। बत्रा ने, जो अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के भी अध्यक्ष हैं, प्रज्ञा का यह आग्रह एचआई के पास भेजा था।
भारतीय स्टेट बैंक से समयपूर्व सेनानिवृत्ति ले चुके रविंदर पाल के परिवार का अस्पताल में इलाज के दौरान प्रतिदिन लगभग 30 हजार रुपये खर्च हो रहा है। इस बीच लखनऊ की पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मी सिंह ने पूर्व खिलाड़ी के इलाज के लिए दो लाख दिए हैं।
दूसरी तरफ 1980 मॉस्को ओलंपिक टीम के सदस्य और बाद में पुरुषों व महिलाओं की राष्ट्रीय टीमों के कोच रह चुके कौशिक दिल्ली के एक नर्सिंग होम में इलाज कर रहे हैं। 66 वर्षीय कौशिक की हालत गंभीर बनी हुई है। कौशिक उस समय कोच थे, जब भारत ने 1998 में बैंकाक एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और महाद्वीपीय प्रतियोगिता में भारत का 32 वर्षों का इंतजार खत्म हुआ था।